12 दिसंबर 2014

साहिल सेठी राजनीतिकों के मुंह पर तमाचा है इस अग्निकांड पीडि़त की कहानी

सिंगापुर स्थित विश्व की सबसे बड़ी कंपनी में हैं ब्रांड मैनेजर, पीएम नरेंद्र मोदी से पा चुका है सम्मान

डबवाली (लहू की लौ) बेशक सरकारों ने अग्निकांड पीडि़तों के जख्म कुरेदने में कोई कोर कसर बाकी न छोड़ी हो। लेकिन एक अग्निकांड पीडि़त ने अपनी प्रतिभा के बल पर कुछ ऐसा कर दिखाया है जो राजनीतिकों के मुंह पर तमाचे से कम नहीं। वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी से सम्मान पा चुका यह अग्निकांड पीडि़त विदेश में विश्व की एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्य करते हुये सालाना 50 लाख रूपये से ज्यादा कमा रहा है।
बी-टेक करते ही मिली थी नौकरी
हम बात कर रहे हैं डबवाली निवासी सुनील सेठी के 28 वर्षीय बेटे साहिल सेठी की। 23 दिसंबर 1995 को डबवाली अग्निकांड में पचास फीसदी झुलसने के बाद भी इस युवक ने हिम्मत नहीं हारी। यह युवक दूसरों के लिये प्रेरणा बनकर सामने आया है। अग्निकांड के समय साहिल की उम्र महज 9 वर्ष थी। वह डीएवी स्कूल में 5वीं कक्षा का छात्र था। अग्निकांड के तुरंत बाद सुनील सेठी डबवाली छोड़कर अबोहर (पंजाब) में जा बसे। अबोहर में डीएवी संस्थान में साहिल को 12वीं उत्तीर्ण करवाने के बाद वे पुन: डबवाली आ गये। 12वीं के बाद वर्ष 2008 में साहिल ने भोपाल स्थित एनआईटी से कंप्यूटर साईंस में बी-टेक पास की। कैंपस के दौरान ही यूएसए की एक कंपनी ने उसे चेन्नई में नौकरी पर रख लिया। करीब डेढ़ वर्ष तक नौकरी करने के बाद 2009 में केट परीक्षा में 99.4 परसेंटेल अंक पाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
टॉप इंस्टीच्यूट ने मांगा था दाखिला : देश के टॉप छह इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ मैनेजमेंट ने इस प्रतिभाशाली बेटे का एडमिशन लेने के लिये पत्र भेजे। जिनमें से आईआईएम अहमदाबाद एक था।  दूसरी तरफ आर्थिक परेशानी से जूझ रहे परिजनों ने हाथ खड़े कर दिये। दाखिला फीस भरने के लिये करीब पंद्रह लाख रूपये चाहिये थे। इस अग्निकांड पीडि़त ने स्टूडेंट लोन लेकर पढ़ाई की। मार्च 2011 में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह तथा गुजरात के पूर्व सीएम तथा वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी ने आईआईएम अहमदाबाद में इस अग्निकांड पीडि़त को एमबीए की डिग्री सौंपी।
कैंपस में हुआ सिलेक्शन
डबवाली के इस बेटे ने कैंपस सिलेक्शन में भी अपना हुनर दिखाया। कई मल्टीनेशनल कंपनियां एमबीए पास युवकों को तलाशने के लिये पहुंची। मई 2011 में विश्व की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी पीएंडजी ने इस अग्निकांड पीडि़त को सिंगापुर स्थित एशिया के अपने हैडक्वार्टर में जॉब दी। उस समय सलाना 26 लाख रूपये का पैकेज दिया। ब्रांड मैनेजर के पद पर जॉब करने वाला यह अग्निकांड पीडि़त अपने दम पर मात्र तीन सालों में वेतन में 24 लाख रूपये से अधिक वृद्धि करवाने में सफल हुआ है। शहर का यह बेटा अब सालाना 50 लाख रूपये से ज्यादा का पैकेज ले रहा है। जोकि वायदाखिलाफी करने वाले राजनीतिकों के मुंह पर तमाचे के सामान है।
जब लड़की के परिजनों को दिखाये जख्म : 13 अप्रैल 2014 को उसी कंपनी में कार्यरत एक युवती के साथ शादी के बंधन में बंधने वाले साहिल सेठी ने रिश्ते के दौरान युवतियों के परिजनों को अग्निकांड में मिले जख्म तक दिखा दिये थे। जिस पर वधू पक्ष के लोगों ने जख्मों को दरकिनार करते हुये उसकी काबलियत को सराहा और अपनी बेटी का हाथ अग्निकांड पीडि़त के हाथ में सौंपा।

पिता ने भी लड़ी लडाई
साहिल की सफलता में उसके माता-पिता का अतुलनीय योगदान रहा है। अबोहर स्थित डीएवी संस्थान में फीस रिफंड न करने पर सुनील सेठी संस्थान का फीस रिफंड करने संबंधी पत्र लेकर प्रस्तुत हुये थे। यह पत्र आज भी वे संभाले हुये हैं। उपरोक्त संस्थान जब भी किसी अग्निकांड पीडि़त के बच्चे या फिर खुद पीडि़त को तंग करता है तो पत्र दिखा देते हैं। सुनील सेठी के अनुसार ऐसे कई मामलों में उसने पत्र का सहारा लिया है।

जख्मों को ताकत बना लिया
अग्निकांड के दौरान मैं अपने बेटे साहिल तथा बेटी सानिया के साथ फंस गई थी। साहिल के साथ-साथ मैं भी पचास फीसदी जल गई थी। बेटी भी घायल हुई थी। जोकि सीए है। साहिल ने कभी भी अपने जख्मों को कमजोरी नहीं बनने दिया। बल्कि जख्मों को अपनी ताकत समझकर पढ़ाई की। देश के सर्वश्रेष्ठ आईआईएम अहमदाबाद में एडमिशन अपने दम पर लिया।
-शशि सेठी (अग्निकांड पीडि़ता)

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